Wednesday 16 October 2013

ILLNESS

कुछ दिनों पहिले में बीमार पड़ गई तो मुझे लगा, जैसे मेंने बीमार होकर कुछ अनोखा काम कर दिया, मुझे देखने के लिए हर कोई रिश्तेदार और फ्रेंड आ रहे थे,में बिस्तर में पड़ी हुई कुछ आठवा अजूबा की तरह हो रही थी,वैसे दिल में ख़ुशी हो रही थी कि मेरी तबियत का कितना ख्याल लोगों को
है,ख़ैर मिलने वालों का एक ही सवाल रहता है,अब तबियत कैसी है,अब उन्हें क्या बताये कि तबियत ही ठीक होती तो में इस तरह बैड न पड़ी होती और आपके घर ही मिलने आ जाती ,और दूसरा सवाल यह होता कि किस डाक्टर से इलाज चल रहा है उन्हें किसी डाक्टर का नाम बताओ तो चार नाम और गिनने लगते है कि ये डोक्टर अच्छे है यदि उन्हें बताओ की एलोपैथी इलाज ले रही हु तो होम्योपैथी,आयुर्वेद ,यहाँ तक की यूनानी चिकित्साके गुण भी गिनाने लगते है कुछ भी हो बीमार पड़ने से आपके पास नए डाक्टरों के एड्रेस आदि अपडेट हो जाते है आप को बुखार है तो भी हड्डी,हार्ट,आँख,कान, नाक नाना किन किन रोगों के स्पेशलिस्ट डाक्टरों के नाम पते मालूम हो जायंगे अब मज़ेदार बात यह हुई की मेरे महीने भर बीमार रहने पर जो जो मेहमान मिजाजपूर्ति के लिए आये उनकी आवभगत करते रहने से मेरी माता जी ने बिस्तर पकड़ लिया,और अब में माता जी के मिजाज पूर्ति करनेवालो की आवभगत कर रही हु. शायद इसीलिए फिल्मों में जब केरेक्टर कोई बीमार होता है. तो डाक्टर बीमार को हवा पानी बदलने के लिए किसी दूर जगह जाने को कहते है शायद वे सही जानते है,कि बीमार की मिजाजपूर्ती करने वालों से बचना ज्यादा जरुरी है नहीं तो बीमार तो ठीक हो जायेगा पर घर के सारे बीमार पड़ सकते हैं