Thursday 31 October 2013

SMILE PLEASE

कल मेरे पास करीब दस फेसबुक मैसेज आये.कि क्या आप हमेशा मुस्कराती रहती है. मुझे अजीब लगा कि हमेशा मुस्कुराने में क्या है वैसे भी दुःख भी हो तो मुस्कुराने
में कम ही महसूस होता है,वैसे भी एक शेर है
हुजूरे गंम मेरी फितरत नहीं बदल सकती ....क्योंकि मेरी आदत है मुस्कुराने की’
वैसे बात भी सही है आजकल की जीवनशैली जितनी हाईटेक होती जा रही है. हम उतने ही मानसिक रूप से कमजोर होते जा रहे है. रोजीरोटी का झमेला और एकांकी परिवार ने हमसे हमारी मुस्कराहट छीन ली है. हर कोई छोटे परिवार और अपने फ्रेंड के साथ कम ही मिलते है अब सिर्फ त्यौहार में भी सिर्फ sms और इ ग्रीटिंग से काम चल जाता है.और ऊपर से काम की अधिकता और टारगेट वाले कार्यो से और अधिक तनाव बढ़ रहा है.प्रकर्ति ने हमें मुस्कुराने की स्वाभबिक छमता दी है लेकिन हम उसका उपयोग नहीं कर पा रहे है,अब आप ही किसी को मुस्कुरा कर देखिये दूसरा अपने आप मुस्कुरा देगा,यही मुस्कराहट हमारे एंजाइम को कम करने का कारण बनती है मुस्कुराने वाले शख्स का चेहरा हमेशा ताजगी भरा दिखेगा और उसकी सामाजिक जिन्दगी में भी मेलजोल जायदा रहता है वैसे भी इस तरह के व्यकित पाजिटिव थिंक के होते है.आप एक प्रयोग कर सकते है आप एक किलोमीटर चेहरे पर गंभीर भाव लाकर जाईये देखिये कि आप की तरफ कितने लोगों ने ध्यान दिया।और अब आप वापिसी में आप मुस्कुराते हुए आइये तब देखिये आप पर कितने लोगों ने ध्यान दिया ....नतीजा देखकर आप ही तय किजीये कि आपका मुस्कुराना ठीक है या नहीं  
                                                            सिमी 

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