Friday, 7 December 2012

फरमान

  • एक परम्परा है, स्त्रियों को हमेशा अपने से कम करके आंको.  सोच की यह धार अभी तक नहीं मिटी है इस्लामी संस्था दारुल उलूम ने कहा है कि मुसलमान महिलाओं के लिए दफ़्तरों में रिसेप्शनिस्ट की तरह से काम करना ग़ैर इस्लामी है.उनका तर्क है कि  , "रिसेप्शनिस्ट को हर तरह के मर्दों से मिलना पड़ता है. बातें करनी पड़ती हैं. इनमें अच्छे और बुरे मर्द भी होते हैं. उनकी हिफ़ाज़त के लिए सही ये होगा की वो रिसेप्शनिस्ट का काम ही न करें" ये तो वही  बात हुई कि अगर बाहर एक्सीडेंट का खतरा है तो आप रोड से कही भी न जाकर घर मैं बैठे रहे .अगर इन्हें मुसलमान महिलाओं की सुरक्षा का इतना  ही  ख्याल है या वे पुरषों के वर्चस्व को बनाये रखना चाहते है ,अगर महिला से आगे बढ़ाना चाहती है,तो इन्हें कोई आपति नहीं होनी चाहिए क्योकि अपनी  सलामती खुद कर सकती है 

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