Tuesday, 1 January 2013

मैं बच गयी


कल रात को सपने मैंने देखा की कोई परछाई ने सिरहाने मैं एक पर्ची रखकर चली गयी है अब पर्ची मैं क्या लिखा था आपको बता दू ,
धन्यबाद प्यारे  पापा जी ,आप  घर मैं उत्सव मनाइये  नहीं तो इस भारत भूमि जो कभी संस्कार से पूर्ण था,, इसमे  मैं जिन्दगी और मौत से शायद लड़ रही होती इस भारत मैं इन घिनौने पिशाचों से बच पाना किसी भी लड़की के लिए बहुत ही मुश्किल है मैं निरिह अपनी अस्मत लुटा कर दरिंदगी का शिकार होकर  तिल तिल कर मरने से अच्छा  आपने किया की मुझे माँ के भ्रूण मैं ही मार दिया  वैसे  भी माथे के घिनौने दाग लेकर नहीं जी सकती थी  मेरी माँ सही लोरी गाती थी "बेटी तेरा देश पराया तुझे जाना है" आपने सही किया मुझे दुनिया से जल्दी विदा कर दिया थैंक यु  पापा 

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