pen
आजकल
लोग इतने स्टेंडर्ड के है कि बड़े बड़े लेपटॉप और मोबाइल लेकर चलते है लेकिन एक अदना
सा पेन लेकर नहीं चल पाते है भई मेरे पास बैग में हमेशा तीन पेन रहते है पर मुझे
याद नहीं आ पा रही है कि इन पेनों का मेने १००%उपयोग कर पाई हु.हमेशा ही कोई न कोई
किसी ना किसी
बहाने से पेन मांग लेता है.और वो पेन कभी वापस नहीं आये.अरे भई लड़की
भी विदा होकर कई बार अपने मायका आ जाती है लेकिन जो पेन मेरे पास से गया है वो
मुंह से निकली बात,और बन्दुक से निकली गोली की तरह वापस नहीं आ सका है.लेकिन एक
बात तो है कि कलम कुछ हद तक अमीर गरीब का भेदभाव कर देती है कल की ही बात है एक
अमीर, मेकअप की हुई लेडी बैंक में आई उसके
पीछे एक ग्रामीण महिला थी लेकिन गलती यही हो गई कि उस अमीर महिला ने पेन नहीं लाई
थी, सो उसने उस ग्रामीण महिला से पेन माँगा,तो ग्रामीण महिला को बिश्वास ही नहीं
हुआ, कि एक अमीर एक गरीब से इतनी रिक्वेस्ट से पेन मांग रही है.उसके दिल में कुछ
तो तसल्ली हुई कि लगता है भारत में भेदभाव खत्म हो गया है.खैर उसने पेन दे दिया
मेकअप वाली महिला ने फार्म भरा,फार्म भरते ही उसका अमीरों वाला रुतबा फिर आ गया,
अब उसने चेहरे पर शिकन लाते हुए पेन वापिस किया और कोई थैंक्स नहीं कहा,अब मज़े की
बात ये हुई की मेरे काउंटर में आने के बाद मेने देखा कि फॉर्म में कुछ गलती थी.सो
उसे सुधारने के लिए अमीर महिला को वापिस किया अब उसे फिर पेन मागने में शर्म आ रही
थी.लेकिन “मज़बूरी में गधे को बाप बनाना पड़ता है” तो फिर उसने पेन मांग लिया,तो
ग्रामीण महिला का अपना कुछ अलग ही जलवा था उसने बड़ी अहसान से से पेन दे दिया लेकिन
अबकी बार अमीर महिला ने फॉर्म भरकर पेन लोंटाते वक़्त जरुर शर्मिदा होकर थैंक्स कहा
...सो फिरेन्ड्स अगर आप किसी से शर्म से न पेन मांगो लेकिन पेन वापिस करते समय कम
से कम इतने बेशर्म न हो कि दुसरे को थैंक्स न का सको................
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