Friday, 14 December 2012

सलीका

आज सोचा  की भवरताल पार्क शाम को घुमने जाती हु ,वहा  पर कुछ बच्चे खेल रहे थे अचानक ही खेल खेल मैं  आपस मैं झगड़ने लगे .आपस मैं ही इतनी गन्दी गालिया दे रहे थे कि मैं फिर सोच मैं पड़  गई कि इनका परिवार मैं क्या इस तरह से आपस मैं बोला जाता है ,मुझे तो यही लगा कि जब तक परिवार मैं सारे सदस्य आपस मैं ही "तू तड़ाक, माँ बहन ,मार डालुगा" इत्यादि से बोलेगे तो परिवार क्या सारे मुहल्ले के बच्चे इस तरह कि भाषा का प्रयोग करेगे ....

लेकिन रात को टीवी प्रोग्राम देखते समय ही इस थिंक के साथ नई चीज

जुड़ गई,  एक टीवी चेंनल "M TV' मैं इस तरह के ही शब्द बोले जा रहे थे बोलने वाले अच्छे घर के ही थे  लेकिन यदि हमने अपने बच्चो पर थोडा कण्ट्रोल नहीं किया की वे कोंन सा टीवी चैनेल देखते है या आपस मैं ही बच्चो  के सामने गलत शब्दों का प्रयोग  किया,,, तो यकीं कीजिये आने वाले वक्त मैं उनके बोलने के वाक्य मैं एक गाली तो जुडी  ही होगी और उस समय आप भी शर्मिंदा होने के सिवा कुछ नहीं कर सकेगे ..जाते जाते इसी सब्जेक्ट से सबंधित पुराना चुटकुला है .जो शायद  आप को विचार करने का मौका दे 
 एक बार पप्पू अपने पड़ोस में जाता है और दरवाज़े की घंटी बजाता है जो सुन कर उस घर में रहने वाली महिला दरवाज़ा खोलती है।

महिला: अरे बेटा पप्पू क्या हुआ?

पप्पू: आंटी मम्मी ने एक कटोरी चीनी मंगाई है।
महिला मुस्कुरा कर पप्पू का सिर सहलाते हुए कहती है, "अच्छा और क्या कहा है तेरी मम्मी ने?"
पप्पू: कहा है कि अगर वो डायन न दे तो सामने वाली चुड़ैल से ले आना

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