.डेस्कटोप पीसी की बजाय मोबाइल फोन के माध्यम से "जासूसी" करना अधिक सरल है क्योंकि यह डिवाइज़ हमेशा चालू रहता है. मोबाइल की दुनिया में कुछ भी गुप्त नहीं है.आज
हर इंसान के पास मोबाइल हो चुका है ,और उसे इसकी जरुरत पड़ती रहती है आप भी अच्छा सा स्मार्टफोन उपयोग कर रहे होगे ,लेकिन आप जिस मोबाइल का उपयोग कर रहे है वही आपकी जासूसी कर रहा है .अगर आप मोबाइल मैं नेट यूज़ कर रहे है तो ६०% आशंका है कि आपका फोन आपकी जासूसी कर रहा है और आपकी जानकारियों को दुसरो को दे रहा है .कुछ सर्वे करके पता चला है कि आईफोन और एंड्रोइड आधारित फोन में जो अप्लिकेशनें डाली जा रही है यही अप्लिकेशन दुसरो को या उनके डेवलपरों तक गुप्त रूप से जानकारी पहुँचा रहा है. सर्वे के अनुसार स्मार्ट फोनों में डाली जा रही लगभग 50% अप्लिकेशन ऐसी होती हैं जो यूजर की जानकारी को जमा करती है और उसे अपने डेवलपर तक पहुँचा रही है. इसमें प्रमुख जानकारी होती है फोन का यूनिक डिवाइज़ आईडेंटीफायर.करीब 100 आईफोन अप्लिकेशनों की जाँच में 56 अप्लिकेशन ने यह जानकारी आगे डेवलपरों तक पहुँचा दी और यूजर को पता भी नहीं चल पाया . जो जानकारियाँ अप्लिकेशन डेवलपर तक पहुँचती रहती है उनमें प्रमुख है फोन यूजर की उम्र, लिंग की जानकारी तथा अन्य कुछ निजी जानकारियाँ जैसे आप फोन मैं अकाउंट नंबर ,एटीएम कार्ड नंबर ,कुछ पासवर्ड जो की आप नोट एप्लीकेशन रखते है और तो और कुछ एप्लीकेशन मोबाइल के कैमरे भी उपयोग कर रहे है इनसे आपके घर की तस्वीर आपके घर का थ्री डी मॉडल भी तैयार कर रहे रहे है जिससे आपके घर के कमरों का अध्ययन हो रहा हैं और आपकी कीमती चीजों पर नजर रख रहे हैं.मज़े की बात तो ये है की आप इस जासूसी को नहीं रोक सकते है क्योकि आपके पास कंप्यूटर की तरह मोबाइल मैं कुकीस को नहीं मिटा सकते
हर इंसान के पास मोबाइल हो चुका है ,और उसे इसकी जरुरत पड़ती रहती है आप भी अच्छा सा स्मार्टफोन उपयोग कर रहे होगे ,लेकिन आप जिस मोबाइल का उपयोग कर रहे है वही आपकी जासूसी कर रहा है .अगर आप मोबाइल मैं नेट यूज़ कर रहे है तो ६०% आशंका है कि आपका फोन आपकी जासूसी कर रहा है और आपकी जानकारियों को दुसरो को दे रहा है .कुछ सर्वे करके पता चला है कि आईफोन और एंड्रोइड आधारित फोन में जो अप्लिकेशनें डाली जा रही है यही अप्लिकेशन दुसरो को या उनके डेवलपरों तक गुप्त रूप से जानकारी पहुँचा रहा है. सर्वे के अनुसार स्मार्ट फोनों में डाली जा रही लगभग 50% अप्लिकेशन ऐसी होती हैं जो यूजर की जानकारी को जमा करती है और उसे अपने डेवलपर तक पहुँचा रही है. इसमें प्रमुख जानकारी होती है फोन का यूनिक डिवाइज़ आईडेंटीफायर.करीब 100 आईफोन अप्लिकेशनों की जाँच में 56 अप्लिकेशन ने यह जानकारी आगे डेवलपरों तक पहुँचा दी और यूजर को पता भी नहीं चल पाया . जो जानकारियाँ अप्लिकेशन डेवलपर तक पहुँचती रहती है उनमें प्रमुख है फोन यूजर की उम्र, लिंग की जानकारी तथा अन्य कुछ निजी जानकारियाँ जैसे आप फोन मैं अकाउंट नंबर ,एटीएम कार्ड नंबर ,कुछ पासवर्ड जो की आप नोट एप्लीकेशन रखते है और तो और कुछ एप्लीकेशन मोबाइल के कैमरे भी उपयोग कर रहे है इनसे आपके घर की तस्वीर आपके घर का थ्री डी मॉडल भी तैयार कर रहे रहे है जिससे आपके घर के कमरों का अध्ययन हो रहा हैं और आपकी कीमती चीजों पर नजर रख रहे हैं.मज़े की बात तो ये है की आप इस जासूसी को नहीं रोक सकते है क्योकि आपके पास कंप्यूटर की तरह मोबाइल मैं कुकीस को नहीं मिटा सकते
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