Monday 18 February 2013

मंदिर का शोर

सुबह सुबह पास मैं मंदिर से आती शंख की गूंज ,मस्जिद से अजान  और गुरुदारा की गुरुवाणी बहुत ही अच्छी लगती है ,नए  दिन की शुरुआत को शुभ कर देती है लेकिन अब इस तरह का धार्मिक वातावरण  नहीं रहा ,आधुनिक समाज मै अब गली गली मैं दो,,दो ,तीन, तीन मंदिर मस्जिद
हो गए है .और साथ ही लाउड स्पीकर से जब एक साथ  ध्वनियां  उत्पन्न होती हैं तो  शोर बन जाती है .जो शायद  ही किसी को अच्छी लगती हो .धर्म को बढाने  की होड़ तो सभी समाज के लोग करते है , लेकिन हमने गली-गली में इतने मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे खड़े कर दिए हैं कि अब वे धार्मिक स्थल कम और धर्म के नाम पर खोली गई दुकानें ज्यादा लगती हैं।मेरा मतलब  किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।वैसे  इस तरह की बात 'धर्म`से जु़डी होती है, इसलिए कोई खुलकर विरोध नहीं कर पाता है। बल्कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहती  हूं, धर्म के नाम पर ज्यादा मंदिर मस्जिद न बनाये।बल्कि  धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों अच्छी बातो का अध्ययन करें और उन पर अमल करने  का प्रयास करे 

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