Monday 5 August 2013

Processing of mind

हर इंसान सुबह जगाता है तो सूरज देखने की जगह पहले मोबाइल ही देखता है इसके अलावा दिन भर हमारा कंप्यूटर ,टीवी .रेडियो .तथा और भी मीडिया के उपकरण का उपयोग करते रहते है .हमने अपने शरीर को एक मशीन की तरह बना लिया है और ये आगे वाले वक़्त के लिए तन मन दोनों के लिए घातक होगा .अगर  हिसाब निकाला  जाये तो हर दिन हम करीब १.३ लाख शब्दों की प्रोसेसिंग कर रहे  है.यानि कि  कुल पर सेकंड ३५ शब्द,,.इस हिसाब अब हमारा दिमाग रोज ३८ GB के डाटा का प्रोसेसिंग करता है .और यह प्रोसेसिंग अपने दिमाग के कार्य को ओवरलोड कर रहा है और हमें कुछ भी नहीं पता  चल पा रहा है .कि हम आसपास कि दुनिया से कट रहे है हमारी सोचने विचार कि शक्ति  दिन बा दिन घटती जा रही है तथा गहराई से सोचने की ताकत घट गयी है  यदि हम आज कुछ भी अंको को जोड़ घटाना चाहे  तो  मन से न करके कैलकुलेटर का उपयोग करना पड़ रहा   है मानव में सबसे घातक असर दिमाग का विकास का रुकना है पहले के काल  हमारा दिमाग लगातार विकसित  होता गया लेकिन आगे क्या होगा हम नहीं जानते लेकिन इतना तय है कि करीब पचास साल बाद इंसान  जीता जागता रोबोट ही होगा...